[Varsha Kise Kahate Hain] वर्षा किसे कहते हैं बताइए

वर्षा किसे कहते हैं । इस के कितने प्रकार। ऋत । क्यों होती है नाम बताइए – Varsha kise kahate hain 

दोस्तो आज के इस POST में में आपको वर्षा के बारे में बताने जा रहा हूं। इसमें में आपके लिए इसके प्रकार (PRAKAR) कितने होते है।सभी कुछ बताया गया है। संवहनीय, पर्वतकृत, चक्रवाती वर्षा किसे कहते हैं। सब को समझाए गया है।

दोस्तों आपको लगता होगा की इस जानकारी के अलावा हमारे ब्लॉग पर कोई अन्य जानकारी नही है। लेकिन आपको हम बतादें की ऐसे ही कई POST हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, आप खोज बॉक्स में लिखें और उन्हें भी पड़े।
Varsha Kise Kahate Hain वर्षा किसे कहते हैं [New 2021] बताइए। इस के कितने प्रकार। ऋत । की होती है नाम बताइए / varsha kise kahate hain

तो दोस्तो अब हम बिना समय गंवाए और बरबादी किए आपको हम वर्षा के बारे में एवं उसके प्रकार वाले इस ARTICLE को पूरा करने हेतु सुरु करते हैं।

 

जानिए की वर्षा किसे कहते हैं (varsha kise kahate hain)

जब जलवाष्प की बूँदें जल के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं, तो उसे वर्षा कहते हैं। या पृथ्वी सतह पर जल की वाष्प का छोटी-छोटी बूंदों के रूप में गिरना ही, वर्षा कहलाता है।

वायु के ठण्डा होने की विधियों के अनुसार वर्षा तीन प्रकार की होती हैं

  1. संवहनीय वर्षा (SAMVAHANIY VARSHA)
  2. पर्वतकृत वर्षा (PARVATKRIT VARSHA)
  3. चक्रवाती वर्षा (CHAKRAVATI VARSHA)

नीचे हम आपको तीनो प्रकार की वर्षा के बारे में क्रम से एवं विस्तृत वर्णन स्वरूप बताने वाले हैं। अतः आप उन्हें ध्यान से पढ़ें।

सभी प्रकार की वर्षा का विस्तार से

संवहनीय वर्षा (SAMVAHANIY VARSHA)

जब भूतल बहुत गम (BAHUT GARM) हो जाता है, तो उसके साथ लगने वाली वायु भी गर्म हो जाती है। वायु गर्म होकर फैलती है और यह हल्की हो जाती है । यह हल्की वायु ऊपर को उठने लगती है। और संवहनीय धाराओं (SAMVAHANIY DHARAON) का निर्माण होता है। ऊपर जाकर यह वायु ठण्डी हो जाती है। और इसमें उपस्थित जलवाष्प (JALVASHP) का संघनन होने लगता है। संघनन से कपासी मेघ बनते हैं, जिससे घनघोर वर्षा होती है । इसे संवहनीय वर्ष (SAMVAHANIY VARSHA) कहते हैं।

ओपेरा मिनी संबंधी वर्षा के बारे में पढ़ा अभाव में इसके नीचे एक दूसरे नंबर की पर्वतीय वर्षा के बारे में पढ़ना प्रारंभ करते हैं।

पर्वतकृत वर्षा (PARVATKRIT VARSHA)

जब जलवाष्प (JALVASHP) से लदी हुई गर्म वायु को किसी पर्वत या पठार की ढलान के साथ ऊपर चढ़ना पड़ता है, तो यह वायु ठण्डी हो जाती है। ठण्डी होने से यह संतृप्त हो जाती है। और ऊपर चढ़ने से जलवाष्प का संघनन होने लगता है। इससे वर्षा होती है। इसे पर्वतकृत वर्षा (PARVATKRIT VARSHA) कहते हैं।

संवहनीय वर्ष एवं पर्वतकृत वर्षा पढ़ने के बाद हम तीसरे नंबर की वर्षा चक्रवर्ती वर्षा को नीचे क्रम से पढ़ते हैं।

चक्रवाती वर्षा (CHAKRAVATI VARSHA)

चक्रवातों (CHAKRAVATON) द्वारा होने वाली वर्षा को चक्रवाती अथवा वाताग्री वर्षा (CHAKRAVATI VARSHA) कहते हैं।

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यदि आपको वर्षा के बारे में यह लेख की वर्षा (VARSHA) किसे कहते हैं, कितने प्रकार संवहनीय, पर्वतकृत, चक्रवाती वर्षा किसे कहते हैं। यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया नीचे कमेंट अवश्य करें और अपने दोस्तों के साथ भी इस को शेयर करें।

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